मैं जो हूँ जॉन एलिया हूँ जनाब मेरा बेहद लिहा ज़ कीजिएगा। कहना ये जो जॉन एलिया के कहने की खुद्दारी है कि मैं एक अलग फ्रेम का कवि हूँ, यह परम्परागत शायरी में बहुत कम ही देखने को मिलती है। जैसे - साल हा साल और इक लम्हा, कोई भी तो न इनमें बल आया ख़ुद ही इक दर पे मैंने दस्तक दी, ख़ुद ही लड़का सा मैं निकल आया जॉन से पहले कहन का ये तरीका नहीं देखा गया था। जॉन एक खूबसूरत जंगल हैं, जि... https://bookario.in/product/%e0%a4%ae%e0%a5%88%e0%a4%82-%e0%a4%9c%e0%a5%8b-%e0%a4%b9%e0%a5%82%e0%a4%81-%e0%a4%9c%e0%a5%89%e0%a4%a8-%e0%a4%8f%e0%a4%b2%e0%a4%bf%e0%a4%af%e0%a4%be-%e0%a4%b9%e0%a5%82%e0%a4%81/