तन्हाई के पलों में, मैं अपने आप से बातें करता हूँ, रचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें आईने से तुम घबराओगे जब इश्क़ तुम्हें हो जायेगा। सरकती जाए है रुख़ से नक़ाब आहिस्ता आहिस्ता कभी ऐ हक़ीक़त-ए-मुंतज़र नज़र https://youtu.be/Lug0ffByUck