भावार्थ – हे हनुमान जी ! यदि कोई मन, कर्म और वाणीद्वारा आपका (सच्चे हृदय से) ध्यान करे तो निश्चय ही आप उसे सारे संकटों से छुटकारा दिला देते हैं। सोई अमित जीवन फल पावै ॥२८॥ चारों जुग परताप तुह्मारा । chhūtahi ChhūtahiFreed / taken out bandiBandiShackles / bondage mahāsukha https://georgeu517uut3.mdkblog.com/profile